Tuesday, 1 December 2009

मुन्शीराम डाकिया






लेकर पीला पीला थैला,
पत्र बाँटने आता,
यह है मुन्शीराम डाकिया,
सब की चिठ्ठी लाता ।।

सर्दी हो या गर्मी,
पानी गिरता झरझर,
चला जाएँगा नही रुकेगा,
चिठ्ठी देता घरघर ।।

बड़े डाकखाने से आता,
लाता कभी रुपैया,
कभी किताबें दे जाता है,
मुझ को हँस हँस भैया ।।

गाँव गाँव जाता है,
पर कभी नहीं थकता है,
लाता है सब की खुशखबरी,
सब के मन को भाता है ।।


This poem was in my 5th Standard Hindi textbook in 1985-86. Please let me know the poet if you know the one.